• कलियुग अवतार

    श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ जी कलियुग के अवतार है । बाबा जी साक्षात् शिव शंकर जी का बाल रूप हैं। क्योंकि माता पार्वती जी ने बाबा जी को बाल रूप में रहने का वरदान दिया था व शंकर जी के दर्शन करवाए थे। शंकर जी ने बाबा जी को वरदान किया था कि आप कलियुग में विभिन्न कष्टों से पीड़ित लोगों को कष्टों से मुक्ति प्रदान करोगे व बाबा बालक नाथ जी के नाम से माने जाओगे। बाबा जी के दर्शन, स्तुति पाठ करने व भभूति (राख) प्रयोग करने मात्र से ही विभिन्न रोग, कष्ट व भूत-प्रेत-आत्मा व भय आदि सब से मुक्ति मिल जाती है। जिन औरतों के औलाद न होती हो, बाबा जी उन्हें औलाद सुख प्रदान करते हैं । उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं ।

    इसलिए आप श्रद्धापूर्वक एवं अखण्ड विश्वास से बाबा जी की स्तुति नियमपूर्वक करें और अपना जीवन सफल बनाएं।

    Know More..
  • वंशावली (महन्त - गद्दी )

  • 1. महन्त दलजीत गिरि
  • 2. महन्त रामचंद्र गिरि
  • 3. महन्त दिलीप गिरि
  • 4. महन्त यकम गिरि
  • 5. महन्त दिलपत गिरि
  • 6. महन्त दौलत गिरि
  • 7. महन्त शिवचरण गिरि
  • 8. महन्त बलराम गिरि
  • 9. महन्त सिद्ध गिरि
  • 10. महन्त कृपाल गिरि
  • 11. महन्त रणजीत गिरि
  • 12. महन्त शक्ति गिरि
  • 13. महन्त शिवगिरि
  • महन्त परम्परा एवं गुरु गद्दी का इतिहास भी उतना ही पुराना है । जितना कि बाबा जी के गुफा में प्रकट होने का । तभी से गुरु शिष्य परम्परा चली आ रही है। ऊपर लिखित गुरु जनो का रिकार्ड लिखित तौर पर उपलब्ध है । इन सब से पहले भी कई महन्त हो चुके है । लेकिन मठ समाधियाँ नामक स्थान पर प्राचीन महन्तों की असंख्य समाधियाँ इसका साक्षात् प्रमाण है । यह स्थान लंगर भवन से पोड़ियों के रास्ते 1 कि०मी० की दूरी पर लोहारली गाँव में स्थित है । यहाँ पर सुन्दर बगीचा, अखंड धूना मंदिर, समाधियां एवं स्नान कुंड दर्शन योग्य है। इसकी देख रेख के लिए संत महात्मा यहां पर रहते है।

  • अगामी कार्यकर्म

  • GuruBirthday

    12/10/2020 11:00Am

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    12/10/2020 11:00Am

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    12/10/2020 11:00Am

  • विशेष उपदेश

  • अपने कुलईष्ट, देवी- देवाताओं की मान्यता न छोड़े। अपने पूर्वजों की परम्परा अनुसार मानते रहें.
  • देवी-देवताओं की पूजा दिन - बार, व्रत त्यौहार आदि पर विशेष विधि-विधान से करें जैसे शिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रे, राम नवमी, जेठा रविवार, चैत्र मास आदि ।
  • पितृ पूजन, श्राद्ध, पिण्ड दान आदि हर साल हिन्दू धर्म अनुसार विधि से करवायें। इससे कार्यों में आने वाली बाधाओं, कलह, कलेश एंव कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • मृत्यु होने पर हरिद्वार - पेहवा जाकर पिण्डदान, अस्ति प्रवाह अवश्य करें एवं दान आदि करें। चाहे मृत्यु छोटे बच्चे, जवान या बूढ़े, व्यक्ति की हो यह सब करना आवश्यक है। तभी हमें पितृ दोषों से मुक्ति मिलेगी।
  • देवी - देवताओं एवं पित्रों के नाम से तीर्थ स्थानों पर जाकर दान-दक्षिणा, भण्डारा आदि करने से शुभ फल प्राप्त होता है ।
  • यह सब करते रहने के पश्चात् नामदान मन्त्र का पाठ करने का फल लाखों गुण अधिक मिलेगा ।
  • सक्रान्ति, जेठे रविवार के बारे में संगत को भ्रम होता है जो हिन्दू धर्म के अनुसार सक्रान्ति होगी वही मानी जाएगी और उसके बाद जो रविवार आयेगा जेठा रविवार होगा, अगर रविवार का सक्रान्ति होगी तो उससे अगला रविवार जेठा होगा । इसी प्रकार जिनते भी त्यौहार है वह सभी हिन्दू रीति-रिवाज एवं दिन-वार अनुसार ही मान्य है ।
  • बच्चों को सद्गुण एवं अच्छे संस्कार दें यही उनके विकास में सहायक एवं माता पिता के हित में होगें ।
  • अपनी कमाई का कुछ अंश दशांश निकाल कर रखें और गुरू चरणों में अर्पित करें एवं तन-मन-धन से सहयोग दें। गुरू घर में हो रहे कार्यों एवं कार्यक्रमों में तन-मन-धन से सहयोग दें ।
  • देवी - देवता एवं गुरूजनों से विनम्र प्रार्थना करें जिद्द न करें धैर्य रखें। कष्ट एवं कठिन समय आने पर भी उनका अनुसरण न छोडे ।
  • गुरू मार्ग दिखा सकता है। लेकिन चलना तो स्वंय ही पडेगा । इसलिये बताये गये नियमों-विधि विधानों पर अनुसरण (प्रयोग) करके लाभ उठाये ।
  • मंहत बाबा बालक नाथ चैरीटेबल ट्रस्ट का उद्देश्य एवं कार्य

  • वृद्धा पेंशन एवं वृद्धाश्रम खोलना ।
  • विधवा माताओं को हर महीने पेंशन 1000 रूपये राशि ।
  • गरीब परिवार कन्याओं का शिक्षा - भत्ता ।
  • गरीब कन्याओं के विवाह एवं सहायता राशि देना ।
  • आर्युवेदिक संस्थान खोलना एवं मैडिकल कैम्प लगवाना ।
  • धार्मिक-संस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन करना ।
  • सामाजिक जागरूकता, पर्यावरण एवं स्वच्छता अभियान चलाना ।
  • बाबा जी दरबार पर सरायों का निर्माण करवाना ।
  • बाबा बालक नाथ जी के प्रचार प्रसार के लिये कार्यक्रम आयोजन करवाना।
  • गौ सेवा एवं गौशाला केन्द्र खोलना ।
  • बाबा जी के दरबार पर आने वाले भक्तजनों की ठहरने का खाने-पीने की सुविधायें एवं हर प्रकार की सहायता सुनिश्चित करना ।