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मंत्र एवं जाप
ॐ नमामि गौरिनन्दनम्, उमेशपुत्र संज्ञकम् । कलावतार धारिणम्, समस्त जगद्रक्षकम् ।।
नमामि सिद्ध नायकम्,सुभुक्तिमुक्तिदायकम् । भक्ति शक्ति प्रदायकम्, ज्ञान ध्यान प्रसाधनम् ।।1।।
नमामि सिद्धिदायकम्, समस्त भक्तपायकम्। कदा कैलाश गामिनम्, वरं शिवस्य प्रापितम् ।।
काठ्यावाड़े विष्णु गृहे, लक्ष्मीगर्भजातकम् । गिरिनारे दतात्रेय गुरू दीक्षा धारिणम् ।।2।।
नमामि रत्नोसेवकम्, गोसन्तसाधुहर्षणम् । रोट छाछ तड़ागिनम्, लोहारी रत्नो नन्दनम् ।।
रोटी लस्सी त्यागिनम्, गरूना झाड़िवासिनम् ।।3।।
नमामि धेनुपालकम्, गोरखदर्पभञजनम् नील वर्ण सुसुन्दरम्, सुवर्णजटाराजितम् ।
नमामि ब्रह्मचारणिम्, वदन तेज शोभितम् ।।4।।
नमामि नभोगामिनम्, चरण पादुका शोभनम् ।। अंग भभूति धारणम्, सिंगी बैरागन शोभितम् ।।
नमामि नाथ नाथिनम्, षोडशनाथ नाथिनम् । धनवन तपस्विनम्, वटतले निवासिनम् ।।5।।
नमामि शंकर रूपिणम ! भरतृहरिसंगिनम् । जगन्नाथ नाथस्वामिनम् गुफा दयोट् प्रकाशनम् ।।
कमण्डल पात्र धारिणम्, बालयोग विख्यातनम् । माया मृक्त संजीवनम्, साधु सज्जन रक्षकम् ।।6।।
नमामि स्कन्दरूपिणम्, मयूर वाहन राजितम् ।
सुख समृद्ध दायकम्, समस्त माया भञ्जनम् नमामि वाञ्छ पूरकम्, अन्न धन प्रदायकम्।
दोष दुख निवारणम् समस्त सुख कारणम् ।।7।।
नमामि वंश वर्धनम्, दुग्ध पुत्र प्रदायक भूत प्रेत विनाशनम्, पिशाच बाधा मोचनम् ।।
नमामि अष्टशक्तिकम्, भक्त वनारसीपूजितम् । सुशान्ति सुखदायकम्, अष्टसिद्धि विराजितम् ।।8।।
नमामि अर्थरूपिणम्, सर्व सुकाम पूरणम् । व्याघ्र चर्मधरिणम्, परम ब्रह्म दर्शनम् ।
प्रार्थय नाथ बालकम् धरस्य धर्म भावनाम् । अवैतु सदा सर्वदा, वरं ददातु सर्वदा ।।9।।
ॐ बालकनाथाय नमः
ॐ सिद्धनाथाय नमः
प्रथम गणेश मनाय के सत् गुरू करूं प्रणाम । गौरी मात महेश का ले सुखकारी नाम ।।
सिद्ध जोगी और ज्ञान जन सरस्वती मां सुख रास । बाबा बालक नाथ जी मन में करो निवास ।।
दुष्ट निकन्दन उमा दुलारे तीन लोक की बात को जानो ।। तीन काल क्षण में पहचानो ।।
तेरो नाम है जग में प्यारा । तीनों ताप निवारन हारा ।। सुमिरत भागत भूत पिशाचा ।।
जै बालक जै दया के सागर । शांत छवि मूर्ति, अति प्यारी । हाथ में झोली चिमटा विराजे ।
गऊ विप्रन के तुम रखवारे । नाम तुम्हारा जग में सांचा। राक्षस यक्ष योगिनी भागे ।
जै जै भक्ति ज्ञान उजागर ।। अंग भभूति दिगम्बर धारी ।। बाल सुनहरी छवि अति साजे ।।
तुमरे चिंतन भय नहीं लागे ।। विप्र विष्णु जी पिता तुम्हारे । छोड़ सभी माया संसारी ।
शाह तलाईया गाय चराई । नित प्रति वन में गाय चराते । एहि भांति बीते कछु काला ।
आत्म ज्ञान को साक्षी जाना । तब पर्वत गिरिनार पे आए । पूरन जान गुरू अवसर पाए ।
सिद्ध साध जोगी सब आए । तब लक्ष्मी पूत बुलाया । सुमिरत पूरन हुई तपस्या ।
बरसे पुष्प दुन्दुभी बीजे । लक्ष्मी जी की आंख के तारे ।। स्वामी हए बाल ब्रह्मचारी ।।
पौणा हारी छवि दिखलाई ।। गऊ विपरन का दुख मिटाते ।। आए दत्तात्रेय कृपाला ।।
गुरू देव अपनो पहचाना।। गुरू सेवा में चित्त लगाए ।। ऋषि मनि ज्ञान बलबाए ।
द्वारे आकर अलख जगाए ।। दूधाधारी नाम रखाया ।। गुरू प्रसन्न हो दीनो दीक्षा ।।
सुमिरत नाम सभी दुख भागे ।। नाम तुम्हारा सब सुख दाता । भक्तों के सब कष्ट मिटाता ।।
नारद सारद सहित अहीसा । रिद्धि सिद्धि नव निधि के दाता । सदा रहो शंकर के दासा ।
शिखिर महेन्द्र पर्वत आए । वहां पर कीनि घोर तपस्या । इन्द्र लेन परीक्षा आयो ।
जगदम्बा तब दर्शन दीना ।। देवन आए दीन असीसां ।। असवर दीन पार्वती माता ।।
पूरन कीजो सबकी आसा ।। बारह बरस समाधि लगाए ।। प्राणी मात्र की कीनी रक्षा ।।
मानी हार चरनन शीश नवायो ।। अजर अमर तुम सुत हो जाओ । सुमिरन करो जहां भी बेटा ।
गोद बिठाए आशीश दीना ।। सब दुखियों के कष्ट मिटाओ ।। शिव को पाओ शक्ति समेता ।।
आए शाह तलाइयां देवा । पिछले जन्म की याद जो आई । गोरख लेन परीक्षा आयो ।
गऊ विप्रन की कीनी सेवा ।। मां रत्नों की गायें चारई ।। मानी हार भरथरी पैठायो ।।
बारह साल सेवा थी कीनी । झूठ उलाहना दिया था जाकर । खेत दिखाए हरे भरे सब ।
धौल गिरि पर्वत पर आए । श्रद्धा सहित जो रोट चढ़ावे । जो यह पढ़े बालक चालीसा ।
रतनों ने पहचान न कीनी ।। बालक रूठ गए यह सुनकर ।। रोटी लस्सी वही धरी सब ।।
राक्षस मार गुफा में धाए ।। मन वांछित फल तुरन्त ही पावे ।। होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
सेवक ही चरनन का दासा । कीजै नाथ हृदय में वासा ।।
रिद्धियां सिद्धियां बाला जोगी । नाम बालक नाथ कहलावे ।।
अलख जगावे नाम शिवाँ दा ध्यावे । दुनियां दे बिगड़े काम बनावे ।।
न कुछ खावे न कुछ पीवे । दुध - पुत बडंदा जावे।। अंग भभूत रमाय कर लियो । झोली चिमटा धार ।।
बाबा बालक नाथ जी को । मेरा कोटि-कोटि नमस्कार ।।
आरती श्री बाबा बालक नाथ जी
ॐ जय कलाधारी हरें स्वामी जय पौणाहारी हरे । भक्तजनों की नैय्या दास जनों की नैय्या ।
भव से पार करें, ओम जय कलाधारी हरे । बालक उमर सुहानी, नाम बालक नाथा ।
अमर हुए शंकर से, सुनकर अमर कथा ॥ ॐ जय..
शीश पे बाल सुनहरी, गल रूद्राक्षी माला । हाथ में झोली चिमटा, आसन मृगशाला ॥
सुन्दर सैली सिंगी, बैरागन सोहे । ॐ जय..
गौ पालक रखवाला, भक्तन मन मोहे ॥ ॐ जय..
अंग भभूत रमाई, मूरति प्रभु अंगी । भय भंजन दुःख नाशक, भरथरी के संगी॥ ॐ जय..
रोट चढ़त रविवार को, फल मिश्री मेवा । धूप दीप चंदन से, आनन्द सिद्ध देवा ॥ ॐ जय..
भक्तन हित अवातर लियो, प्रभु देख के कलि काला । दुष्ट दमन शत्रू-धन, दीनन प्रतिपाला॥ ॐ जय..
श्री बालक नाथ जी की आरती, जो कोई नित गावे । कहते के सेवक तेरा, सुख सम्पति पावे ॥ ॐ जय..
मेरे गुरूदेव करूणा सिन्धु करुणा कीजिये । अधम अधीन अशरण जब शरण में लीजिये ।।
हे मेरे...........
खा रहा हूं गोते मैं भव सिंधु के मझधार में । आसरा है दूसरा कोई ना अब संसार में ।।
हे मेरे...........
मुझमें है जप-तप न साधन और नहीं कुछ ज्ञान है | निर्लज्जता है एक बाकी और बस अभिमान है ।।
हे मेरे...........
पाप बोझे से लदी नैया भंवर में आ रही । नाथ दौड़ो, अब बचाओ जल्द डूबी जा रही ।।
हे मेरे...........
आप भी यदि छोड़ देंगे, फिर कहां जाऊँगा । जन्म दुःख से नाव कैसे, पार कर पाऊंगर मैं ।।
हे मेरे...........
सब जगह मंजुल भटक कर अब शरण ली आपकी । पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी ।।
हे मेरे...........
श्री बाबा बालक नाथ जी माला मन्त्र
ॐ नमः भगवते बालक नाथाय स्मरणमात्र सन्तुष्टाय महाभय - निवारणाय महाज्ञानप्रदाय
चिदानन्दात्मने बालोन्मत्त गोपाल वेषाय महायोगिने अवधूताय लक्ष्मयानन्द वर्धनाय विष्णु पुत्राय भवबन्ध बिमोचनाय ह्रीं,
सर्व विभूतिदाय कों, असाध्याकर्षणाय ऐं, वाकं प्रदाय क्लीं, जगत्त्रयवशीकरणाय सौं, सर्वमनः क्षोभणाय श्रीं,
महासम्पत् प्रदाय ग्लौं, भूमण्डलाधिपत्य प्रदाय द्रां चिरजीविने वषट, वशी कुरू - कुरू वौषट, आकर्षय आकर्षय हुँ,
विद्वेषय - विद्वेषय फटू, उच्चाटय - उच्चाटय ठं ठं, स्तम्भय - स्तम्भय खें खें, मारय मारय, परयन्त्र परयन्त्र-परतन्त्राणि,
छिन्ध - छिन्ध, ग्रहान् निवारय निवारय, व्याधीन् विनाशय - विनाशय, दुःखं हर हर, दारिद्रयं विद्रावयं - विद्रावयं, देहं पोषय- पोषय,
चित्तं तोषय तोषय, सर्वमन्त्र स्वरूपाय सर्वमन्त्र- स्वरूपाय, ॐ नमो भगवते महासिद्धाय स्वाहा ।।
यह जाप कम से कम 41 दिन एवं दिन में 2 बार करें 1 कम से कम 1 से 2 माला का जाप करें ओर जाप करते समय जल की गड़वी साथ रखें । 41वें दिन इस जाप का भोग डालें।
जाग जाग रे धरती माता, धरती माता धरे ध्यान, आरम्भे पुजा ऊपजे ज्ञान, चाँद सुरज दोनो सुखदायी, सिद्ध जोगी आसन पर आये ।
आसन ब्रह्म, आसन ईन्द्र, आसन बैठे गुरू गोबिन्द, आसन बैठ के करिये जाप, मिटे जन्म जन्म के पाप ।
जो न जाने आसन का जाप, उसके मुख डिठये चड़दा ताप जो जाने आसन का जाप, उसके हो रहिये दास ।
देवी माता तू सबसे बड़ी, गल मातम का हार, आसन तुम्हारे बैठ के पाईये धर्म द्वार, हेठ कोठड़ी धर्म की, ऊवर मंडल छाया हुक्म दुर्गा जी से आसन सम्पुर्ण सो अंग आया ।
ॐ नमः ब्रह्मा, शंकर धूणे धारी, धूणा धाया, उदय नाथ धूणा धाया, गोरख नाथ धूणा धाया,
मच्छन्दर नाथ धूणा धाया, बालक नाथ धूणा धाया, भरथरी नाथ धूणा धाया, शंकर जी से वर पाया,
9 नाथ 84 सिद्ध बैठे धूणा धाये, अकाल पुरख की शरण पड़े, तीन लोक का वर पाये ।
ॐ नमः धूणा, नाथ जी से शुद्ध पाया ।
41 दिन सेवा डालने से सिद्ध होगा गुरू जी के आदेशानुसार
ॐ गुरू जी, अदर चिमटा, बीदर चिमटा, चिमटा चले हमारे हाथ, माँ गौरजां रक्षा करें,
चिमटा हाथ हमारे: रिद्धी-सिद्धी आगे चले, मारे चिमटा भागे भूत, कहे गुरू सो अबूत,
गोदी बैठा गुरू ने दिया तेरे चिमटे का पाठ, सिद्ध बाबा बालक नाथ जी तेरे चिमटे का पाठ
41 दिन सेवा से सिद्ध होगा । गुरु जी के आदेशानुसार ।
ॐ त्र्यम्बंक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।
नवग्रह शांति मन्त्र ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरूश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु ।।
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षः शान्तिः पृथ्वी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिर्वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिब्रह्मशान्तिः सर्व शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
यह कष्टों को दूर एवं शान्ति प्रदान करने वाले मन्त्र है इसका पाठ कर लाभ प्राप्त करें ।