अंत में गुरु मन्त्र (नाम दान मंत्र) का अधिक समय तक जाप करें।
सुबह - शाम जाप नीचे बैठकर सिर पर कपड़ा रखकर करें । दिन में हर समय मन में गुरु मंत्र जपते रहें ।
आसन व कपड़ा भगवें (लाल) रंग का प्रयोग करें ।
सूर्य को जल अवश्य दें। गढ़वी में फूल चन्दन (सिन्दूर) डालकर दें ।
क्षमा प्रार्थना ( अन्त में ) पूजा-जप-तप नेम अचारा, नहीं जानत कछु दास तुम्हारा ।
आरती प्रक्रिया
भगवान जी के चरण कमलों में आरती ( धूप-दीप की थाली) चार बार घुमाये ।
भगवान जी के नाभि-देश पर दो बार आरती घुमाये ।
भगवान जी के मुखमण्डल पर एक बार आरती घुमाये ।
भगवान जी के समस्त अंगों (सारे शरीर ) पर सात बार आरती घुमाये ।
अन्त में नमस्कार दण्डवत प्रणाम करें।
रोट प्रसाद प्रक्रिया
बाबा जी को रविवार के दिन रोट, हलवा प्रसाद और दूध से भोग लगाएं।
रोट बनाने की आवश्यक सामग्री: आटा, शक्कर, मेवे, गाय का घी, दूध और जल आदि आवश्यकता के अनुसार लेकर इन्हें गूंथ कर रोट बना लें और उसे कड़ाही या तवे पर देशी घी में पका लें ।
हलवा प्रसाद : सूजी, शक्कर, मेवे और देसी घी में हलवा तैयार करें ।
इसके पश्चात् थाली में रोट, हलवा, गाय का दूध और जल करे बाबा जी को चढ़ायें ।
भोग प्रक्रिया
भोग लगाते समय नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें ।
भोग की थाली (जिसमें भोजन फल, मिठाई, रोट प्रसाद) को सामने रखकर मुँह के आगे करें और आँखें बंद करके पाँच बार नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण करें।
फिर हाथ में जल लेकर भोग की थाली के ऊपर से घुमाकर जल छोड़ दें। या पर्दा करके थाली को आगे रखकर इन मंत्रों का उच्चारण करें।
धूणा लगाते समय गुरू द्वारा दी गई अरदास करें और बाबा जी का आवाहन करें कि हम आपका धूणा लगा रहे है आप आकर दर्शन दें, हमारी सेवा मन्जूर करें व संगत की मनोकामनाएं पूर्ण करें ।
धूणा जमीन को शुद्ध करके लगाएं या मिट्टी का हवन कुंड बना लें, गाय के गोबर से लीपकर अग्नि प्रचंड करें।
धूणें में गाय के गोबर को उपले, लकड़ी, हवन, सामग्री प्रयोग कर सकते है ।
धूणे को बुझाए नहीं अपने आप शांत होने दें ।
धूणे की राख को सभी में बांट दें बाकी जल में प्रवाहित करें।
धूणे वाली जगह को जल में साफ कर दें ।
रविवार व्रत प्रक्रिया
व्रत - जेठे रविवार या हर रविवार का विधान है कि सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद पूजा स्थान व मूर्तियों की सफाई करें फिर धूप, दीप, फूल-फल टिका लगाकर क्रम अनुसार अपना पाठ करें।
व्रत में दूध फल लें एवं रात को मीठा भोजन तैयार कर बाबा जी को भोग लगाकर फिर खाना खायें साधक यह सब कार्य खुद करें भोजन तैयार करके पहले भोग लगाकर फिर परिवार को खिला कर अंत में खुद खायें ।
जेठे रविवार को बाबा जी की मूर्ति को गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिलाकर स्नान करवा सकते है फिर पूजा करें। स्नान वाले जल को सभी में बांट दें।
ख्वाजा पूजन प्रक्रिया
वीरवार के दिन दोपहर में ख्वाजा का दलिया बनाये, आसमानी रंग का कपड़ा, 4 मुख वाला आटे का दीया बनाये ओर उसे सरसो के तेल से जलाये l धूप-सिक्के (पैसे) सिन्दूर तिलक आदि सारा सामान कागज की पलेट में डाले, कागज की पलेट में पहले दलिया ओर उसके ऊपर दीया जला कर रखें, फिर तिलक, फूल, धूप, पैसे एवं कपड़ा रख कर साफ चलते पानी पर रख दे तांकि वह तैरता हुआ जाये फिर नम्सकार करें ।
माँ काली एवं भगवान भैरव पुजन प्रक्रिया
शिंगार पिटारी : नारियल, चुनरी, झण्डा, सवां किलो काले मांह, लोहा, कोयला, 5 नींबू, लौंग, इलाइची, पान के पत्ते, सिन्दूर, पांच लड्डू, ७ सरसो का तेल, धूप-अगरबती, कपूर, पैसे (सिक्के), पांच पतासे एवं काला कपड़ा आदि लें ।
कड़वी कड़ाई : आटा एवं तेल कड़वा रोट : आटा (तेल लगाकर ) आटे का चार मुख वाला दिया बनाये उसे सरसों के तेल से जलाये मंगल या शनिवार के दिन घर में घुमाकर या रोगी के ऊपर 7 बार घुमाकर, दोपहर के समय या दिन छिपते समय दरिया के किनारे या शमशान में छोड़ दें ।
अरदास
ॐ बाबा बालक नाथ जगन्नाथ, स्वामी अर्न्तयामी, जगत- स्वामी, कृपालू, दयालू महादयालू, परम पिता, परम ज्योति, सिद्धाय नमः भगत आपके दुआरे आये इनकी मनोकामना पूरी करनी घर-परिवार में सुख-शान्ति का परवेश करना, रोट प्रशाद भेंट लेखे लानी हम बालक हैं तेरे, भुलनहार हैं, गुनाहगार हैं। स्वामी तु वकशनहार है कृपा रखनी सबका भला करना स्वामी है। तुम्हें नमस्कार तेरी जय-जयकार जय बाबा बालक नाथ जी तेरी अरदास ।
नियम
पूजा-पाठ का समय निश्चित करें। गाय के घी की ज्योति जलायें। रविवार शाम को तेल का दीया जलाये ।
पूजा स्थान पर बाबा जी के झोली चिमटा, पऊये, कमण्डल, बैरागन एवं पानी की गड़वी रखें।
सुबह बाबा जी को फल, फूल, धूप, दीप, चन्दन टीका अर्पित करें।
रविवार का रोट प्रसाद व गाय के कच्चे दूध का भोग लगाएं, फिर परिवार में बांट दें । इसी प्रकार भोजन का भी भोग लगा सकते है ।
बाबा जी का हर रविवार या जेठे रविवार का एक व्रत अवश्य रखें एवं गाय को भोजन दें ।
वर्ष में एक बार परिवार सहित गुफा में माथा टेकने जाएं बाद में अलग-अलग भी आ सकते है ।
रविवार को काला कपड़ा न पहनें ।
औरतें मासिक धर्म के समय धार्मिक स्थान एवं घर में भी पूजा स्थान पर न जाएं न धूप दीप करें- मन में पाठ करते रहें ।
हर वर्ष चैत्र मास बाबा जी का मेला लगता है इस महीने दर्शन करना अति शुभ फलदायक है ।